Sunday 3 January 2016

मोदी जी! देश जीत गया लेकिन आप हार गए

नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने से पहले इंडिया टीवी के शो 'आप की अदालत' का एक एपिसोड आज अनायास ही याद आ गया। उस शो को मैंने अभी ऑफिस से वापस आकर फिर से देखा। उस शो का एक हिस्सा आप सभी से शेयर करना कर रहा हूं।

रजत शर्मा(होस्ट)- 26/11 की घटना के समय अगर आप इन्चार्ज होते तो क्या करते?
नरेन्द्र मोदी: जो मैंने गुजरात में किया वो कर के दिखाता, मुझे देर नहीं लगती। मैं आज भी कहता हूं, पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए, ये लव लेटर लिखना बंद कर देना चाहिए। प्रणव मुखर्जी(तत्कालीन रक्षा मंत्री) रोज एक चिट्टठी भेज रहे और वो सवाल भेज रहे, ये जवाब देते फिरते हैं। गुनाह वो करें और जवाब भारत सरकार दे रही है।
रजत शर्मा- लेकिन इंटरनैशनल प्रेशर है, उसका भी तो ख्याल रखना पड़ेगा भारत सरकार को।
नरेन्द्र मोदी: इंटरनैशनल प्रेशर पैदा करने की ताकत आज हिंदुस्तान में है, 100 करोड़ का देश है। पूरी दुनिया पर प्रेशर आज हम पैदा कर सकते हैं जी। मैं तो हैरान हूं जी, पाकिस्तान हमको मार कर चला गया, पाकिस्तान ने हम पर हमला बोल दिया मुंबई में और हमारे मंत्री जी अमेरिका गए और रोने लगे, ओबामा, ओबामा...पाकिस्तान हमको मार कर चला गया, बचाओ...बचाओ...ये कोई तरीका होता है क्या? पड़ोसी मार कर चला जाए और अमेरिका जाते हो, अरे पाकिस्तान जाओ ना।
रजत शर्मा- क्या तरीका होता है?
नरेन्द्र मोदी: पाकिस्तान जिस भाषा में समझे, समझाना चाहिए।

दोस्तों, मैं अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी का स्वयंसेवक हूं, मेरी शिक्षा भी विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती शिशु/ विद्या मंदिर में हुई है लेकिन मैंने अपने जीवन में सिर्फ एक बार बीजेपी को वोट दिया है। मैं लखनऊ महानगर का एकमात्र ऐसा स्वयंसेवक था जो संघ के प्रचारकों के साथ मेरे आराध्य श्रीराम का राजनीतिकरण करने वाली बीजेपी के सिद्धान्तों पर बहस करता था। मैं बहस करता था उन राम के लिए जिन्होंने जवानी को जिया तो ऐसा कि राजसी सुखों को छोड़कर समाज के लिए कार्य करने वाले एक ऋषि के साथ वन को चले गए और वन जाते वक्त जब पिता दशरथ ने कहा कि राक्षसों से लड़ने के लिए सेना लेते जाओ तो कहा कि सेना ले गया तो क्या फायदा? वहां जाकर वहां के लोगों की सेना बनाऊंगा ताकि मेरे बाद भी उनमें राक्षसों से युद्ध करने का आत्मविश्वास बना रहे। मैं बहस करता था उन राम के लिए लिए जिन्होंने अपनी पीढ़ियों की परंपरा को तोड़ते हुए एकपत्नीव्रत लिया और एक ऐसी महिला से विवाह किया जिसका कुल तक ज्ञात नहीं था। मैं बहस करता था उन राम के लिए जिन्होंने पितृ भक्ति में अपने पिता के एक वचन को इस तरह से निभाया कि 14 सालों तक अयोध्या का सिंहासन फुटबॉल की तरह उछलता रहा। मैं बहस करता था तो उन राम के लिए तो उन राम के लिए जिन्होंने अपने प्रेम के लिए नदियों को छोड़िए, समुद्र पर भी पुल बना दिया। मैं बहस करता था उन राम के लिए जिन्होंने राजधर्म निभाया तो ऐसा कि राक्षसों का वध करके जीते गए क्षेत्र को वहीं के मूल निवासियों के हवाले कर दिया और अपने राज्य के एक सामान्य व्यक्ति की बात सुनकर अपनी धर्म पत्नी स्वयं से दूर कर दिया। मैं बहस करता था उन राम के लिए जिन्होंने मातृभूमि से प्रेम किया तो ऐसा कि सोने की लंका को छोड़ कर सामान्य जनमानस के बीच अयोध्या पहुंच गए।

मेरे उन श्रीराम को राजनीतिक गलियारों में बेचने वाले तथाकथित भक्तों को मैंने मोदी के भाषणों की वजह से लोकसभा चुनाव में वोट दिया। मेरे सांसद महोदय आज देश के गृहमंत्री हैं लेकिन कल पंजाब के पठानकोट में हुए आतंकवादी हमले के समय उनकी हिम्मत नहीं थी कि वे देश की जनता का सामना कर सकें। देश के जवानों ने जब आतंकियों को मार गिराते हुए विजय पताका लहराई तब वे मीडिया के सामने आने की हिम्मत जुटा पाए। अरे राजनाथ जी, देश के जवान तो तब भी आतंकियों के सामने अपनी जान की बाजी लगा कर संघर्ष कर रहे थे जब हमारे सांसद कुर्सियों के नीचे छिपने की जगह ढ़ूंढ रहे थे, उस वक्त आप कहते थे कि भारत को उन्हें जवाब देना चहिए लेकिन आज जब आपके हाथ में सब कुछ है तो आप चुप-चाप बस सैनिकों को शाबासी देकर चल दिए।

मुझे खुशी है कि आज पंजाब के पठानकोट में हुए आतंकी हमले के बाद हमारे देश के सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए सभी आतंकियों को मार गिराया लेकिन मुझे दुःख भी है कि एक के बदले 10 सिर लाने का दंभ भरने वाली सरकार का प्रधान जब कर्नाटक के एक कार्यक्रम में भाषण देता है तो मात्र उसी पुरानी जुमले बाजी के सहारे देश के मन में खुद को प्रतिस्थापित करने की करने की कोशिश करता है जिनके भरोसे आज वह देश की सत्ता के सिंहासन पर काबिज है।  माननीय प्रधानमंत्री महोदय, इस गलतफहमी में मत रहिएगा कि देश ने अगर एक इतिहास को रचते हुए अगर आपको पूर्ण बहुमत वाली कुर्सी दी है तो वह इसलिए नहीं दी कि देश कांग्रेस से परेशान था, देश की जनता ने आपको देश की सत्ता का संचालन इसलिए सौंपा है ताकि आप देश के स्वाभिमान की रक्षा कर सकें। साड़ियां और शालें तो आती-जाती जाती रहेंगी लेकिन अगर आप सत्ता के अहंकार में देश के दिल से निकल गए तो फिर दुबारा वापस आने का मौका नहीं मिलेगा।

केन्द्र में बीजेपी सरकार आने से पहले नरेन्द्र मोदी ने एक निजी चैलन को दिए गए साक्षात्कार में कहा था, 'लादेन का पाकिस्तान की धरती पर मारा जाना इस बात की पुष्टि करता है कि पाकिस्तान आतंकवादियों का एक बहुत बड़ा अड्डा बना हुआ है, भारत सरकार को इस विषय को तत्काल संज्ञान में लेना चाहिए और विश्व की मानवतावादी शक्तियों को एकजुट करते हुए अमेरिका पर भी दबाव डालना चाहिए कि वह ढ़ुलमुल नीति ना अपनाए। यह दुर्भाग्य है कि सुबह ओबामा के वक्तव्य में पाकिस्तान के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा गया है। भारत सरकार को इसे गंभीरता से लेते हुए मानवतावादी शक्तियों को एकजुट करना चाहिए।'

मोदी जी, तब हमारे तत्कालीन पीएम अमेरिका के सामने खड़े नहीं हो पाते थे, शायद इस लिए क्योंकि उन्हें भारत की युवा शक्ति पर विश्वास नहीं था लेकिन आप तो देश की शक्ति  को जानते हैं, बराक सहित विश्व के सभी बड़े नेता आपके मित्र हैं, अब बनाइए इंटरनैशनल प्रेशर और घर में घुसकर मारिए मौलाना मसूद अजहर को। अब तो नवाज से भी आपकी अच्छी दोस्ती है, वह भी साथ देंगे आपका, कोशिश तो करिए। मोदी जी, मैं अब भी आशाहीन नहीं हुआ हूं, मुझे उम्मीद है कि आपका पौरुष जागेगा और 17 साल पहले की गई गलती को सुधार लिया जाएगा। पता नहीं क्यों उम्मीद का दिया मेरे मन में जल रहा है? वो भी उन परिस्थितियों में जब हमले के बाद खुद को राष्ट्रवादी कहने वाली पार्टी की ओर से यह बयान आता है कि सिर्फ एक हमले की वजह से पाकिस्तान के साथ चल रही वार्ता रद्द नहीं की जाएगी। अब देश जुमलेबाजी में फंसने वाला नहीं है और इस बात को दिल्ली तथा बिहार की जनता ने प्रमाणित भी कर दिया है। यदि पीएम साहब फ्लाइट मोड और साइलंट मोड में फंसे रहे तो यह तय है कि इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा। उम्मीद है कि खुद को प्रधानसेवक कहने वाले मोदी जी जनरल मोड पर आ जाएंगे और पाकिस्तान को उसी की भाषा में रिटर्न गिफ्ट देंगे।

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