Saturday 29 August 2015

अरे कूल डू़ड !! धिक्कार है तुम पर...

अभी अभी मेरे watsapp के एक ग्रुप में एक मैसेज आया।
किसी भी अनजान चीज को हाथ न लगाएं उसमे राखी हो सकती है।
पिछले कुछ वर्षों से देख रहा हूं कि सोशल मीडिया पर एक प्रचलन चला है, या यूं कहें एक षड़यंत्र चला है, वह यह कि जैसे ही कोई त्यौहार आने वाला होता है कुछ लोग उस त्यौहार को ऐसे पेश करते हैं जैसे वो उनके ऊपर बोझ हो।

 अरे कूल डू़ड !! तुम्हारे लिए अपनी बहन बोझ बन रही है क्या जो तुम राखी का मजाक बना कर बैठे हो। तुम कैसे अपनी माँ बहन की रक्षा करोगे। राखी एक रक्षा सूत्र है अगर तुम भूल रहे हो तो याद दिलाऊं राजस्थान में औरतों अपनी रक्षा के लिए जौहर कर आग में कूद जाती थीं। रानी पद्मिनी के साथ 36000 औरतों ने जौहर किया था । एक महिला की रक्षा तुम्हें मजाक लगती है ? महोदय, देवी की रक्षा नहीं करोगे तो इस धरती से मानव जीवन समाप्त हो जाएगा।

मित्रों इस प्रकार के संदेश मात्र रक्षाबंधन पर ही नहीं आते। हर त्यौहार पर इस प्रकार के मैसेज आ ही जाते हैं। अभी पिछले वर्ष दशहरे पर एक अतिमूर्खतापूर्ण संदेश पढ़ा। संदेश था
रावण सीता जी को उठा ले गया है और राम जी लंका पर चढ़ाई करने जा रहे हैं उसके लिय बंदरो की आवश्यकता है जो भी मैसेज पढ़े तुरंत निकल जाये ||

वाह !!! आज सीता अपहरण हमारे लिए मजाक का विषय हो गया है। जोरू का गुलाम बनना गर्व का विषय राम का सैनिक बनना मजाक हो रहा है !!!

एक अन्य पोस्ट देखी कि रावण को कोर्ट ले जाया गया वहां कहा गया कि गीता पर हाथ रख कसम खाओ तब रावण कहता है कि सीता पर हाथ रखा उसमे इतना बवाल हो गया गीता पर रखा तो……||
यह बड़े शर्म की बात है कि अग्नि परीक्षा देने के बाद भी आज ये समाज सीता माता के चरित्र पर सवाल उठाने को मजाक समझते है। कभी घर पर बैठी माँ से पूछो पिताजी कहां कहां हाथ लगाते हैं अगर नहीं पूछ सकते तो तुम्हें किसने अधिकार दिया एक आदर्श प्रस्तुत करने वाली माता सीता पर हाथ रखने को मजाक बनाने का ????

हम राखी और सीता अपहरण पर मजाक करते हैं ऐसा करके हमारी वजह से समाज की क्या मानसिकता बनती है, कभी विचार किया है। लोग लड़की की रक्षा से कतराते हैं क्यों की राखी को हमने मजाक बना दिया है हमने सीता माता जैसी पवित्र माँ का मजाक बना दिया है।आज हमने समाज में महिला का मजाक बना दिया है उसकी रक्षा और उसकी अस्मिता एक जोक बनकर हमारा हास्य कर रही है इससे पता चलता है हम कितने धार्मिक हैं।


इस बार फिर रक्षाबंधन पर अपनी बहन के पास नहीं जा पा रहा हूं......

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