Friday 20 March 2015

आखिर क्यों होते हैं बलात्कार...

अभी हाल ही में एक विदेशी महिला के निर्देशन में एक डॉक्युमेंट्री बनाई गई। उस विषय पर बहुत से तथाकथित बुद्धिजीवियों ने और राष्ट्रवादियों ने अपने विचार रखे। उनका कहना है कि ऐसी फिल्मों पर रोक लगा देनी चाहिए क्यों कि इससे विश्वस्तर पर भारत की छवि खराब होती है। मेरा एक सीधा और सरल सा प्रश्न है कि क्या जो उस बेटी के साथ हुआ उससे भारत की छवि नहीं खराब हुई और जब इस देश के लोगों को ऐसा करने में शर्म नहीं है तो उसे देखने में कैसी शर्म? मुझे तो लगता है कि इस डॉक्यूमेंट्री को तो डीडी नेशनल पर दिखाना चाहिए ताकि आजकल के जो युवा जोश में आकर महिलाओं और लड़कियों को रेप के लिए दोषी ठहराते हैं उन्हें भी पता चले कि वो किसी रेपिस्ट की तरह सोचते हैं।

कुछ तथाकथित राष्ट्रवादी ऐसे विषयों पर कुतर्क करते हैं कि बलात्कार टॉप,स्कर्ट और जींस की वजह से होते हैं तो फिर आखिर क्यों नकाब में लिपटी महिला का बलात्कार हो जाता है। वो फिर कहते हैं कि बलात्कार  के लिए वक्ष दिखाने वाली ही खुद जिम्मेदार है तो फिर कभी दो साल की तो कभी छ : साल की मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार क्यों होता है।
वे फिर आगे कहते हैं कि ज्यादा बाहर घूमना ठीक नहीं है  क्यों कि अपरिचित लोग ही ऐसा करते हैं लेकिन मैं देखता हूं कि समाचार पत्रों में खबरें आती हैं कि कभी पिता ,कभी  ससुर , तो कभी चचेरे भाई तक लड़की की अस्मत को तार तार कर देते हैं।
उनका अगला तर्क आता है कि ज्यादा आधुनिक होंगे तो बलात्कार होंगे ही तो फिर आदिवासी और गाँव की महिलाओं की इज्जत के साथ खिलवाड़  क्यों होता रहता है।

मेरा मानना है कि बलात्कार एकमात्र कारण कुत्सित भावना और घटिया संस्कार हैं। वो संस्कार जो ना खून का , ना धागे का, ना शर्म का , ना उम्र का ख्याल करते हैं। उनके लिए नारी का मतलब, बस देह तक सिमटा होता है।

जब बात आती है सामूहिक बलात्कार की तो हमारे मीडिया के मित्र इसे पाशविक कृत्य करार देते हैं लेकिन मित्रों यह पाशविक कृत्य नहीं हो सकता क्यों कि पशु कभी सामूहिक बलात्कार नहीं करते।
बचपन में एक कहानी पढ़ी थी कि एक आदमी को बहुत सारे  लोग पत्थर मार रहे थे , तो किसी ने कहा कि जिसने कभी कोई गलती न की हो वो पत्थर मारे, तब कोई नहीं आगे आ सका। जब पिछले वर्ष बलात्कार के खिलाफ चल रहे आंदोलन में पुरुषों को नारेबाजी करते हुए देखा तो ये कहानी याद आ गई। मेरे मन में आया कि मैं भी कह दूं कि जिस व्यक्ति ने कभी सोच में भी किसी स्त्री के विषय में गलत न सोचा हो वो ही इसका विरोध करने आगे आए। रास्ते पे चलते हुए , बस में या ट्रेन में , मंदिरों की भीड़ में हमें बहुत से ऐसे पुरुष दिख जाते है जो महिलाओं को इस तरह देखते हैं जैसे  नजरों से ही बलात्कार कर रहे हों।
अभी तक इस लेख को पढ़कर संभवतः आपको ऐसा लगा हो कि मैं पाश्चात्य सभ्यता का समर्थक हूं लेकिन नहीं मैं पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण का पूर्ण रूप से विरोध करता हूं। मैं मानता हूं कि व्यक्ति को आधिनिक होना चाहिए लेकिन मेरे लिए आधुनिकीकरण का पैमाना नग्नता नहीं है। सामाजिक भटकाव के कारण आज बलात्कार बढ़ रहे हैं और इस सामाजिक भटकाव के पीछे एक बड़ा कारण आज के विज्ञापन हैं।
मित्रों भारत में लगभग सभी उत्पादों के विज्ञापनों का एक ही उद्देश्य है 'लड़की पटवाना':
क्रीम लगाओ लड़की पटाओ
 पाउडर लगाओ लड़की पटाओ
 डीयोडरंट लगाओ लड़की पटाओ
 फेयर एंड हैंडसम लगाओ लड़की पटाओ
 कोक पेप्सी पियो लड़की
 दिमाग की बत्ती जलाओ लड़की पटाओ
 मंजन करो और ताज़ा साँसों से लड़की पटाओ
एंटी डेनड्रफ शैम्पू लगाओ लड़की पटाओ कोई भी चिप्स खाओ लड़की पटाओ
फोन में फ्री स्कीम का रीचार्ज कराओ और लड़की पटाओ
हद तो तब हो गयी जब पुरुषों के अंतर्वस्त्रों से भी लड़की पट रही है। इनके विज्ञापनों में खास बात ये है कि आपको कुछ करना नही है सिर्फ इन चीजों को इस्तेमाल करो लड़की खुद आपके पास चल कर आएगी। आखिर क्या हो गया है हमारे मीडिया और समाज को ? क्या जीवन का एक ही उद्देश्य है लड़की पटाओ ?
आखिर हमारे घर में भी तो लडकियां हैं और हमें पता है कि हम समाज में उनसे कैसा व्यवहार चाहते हैं, फिर क्यों हम ऐसे विज्ञापनों का समर्थन करते हैं और फिर क्यों हम ऐसे उत्पाद खरीदते हैं जो कि ऐसे विज्ञापन देकर हमारे समाज और संस्कृति को खत्म कर रहे हैं। हमें ऐसे उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए, फिर चाहे वो उत्पाद स्वदेशी ही क्यों ना हों।

सनी लियोनी जैसी वेश्या को भारत में जब अतिथि बना कर लाया जाएगा तो माँ बहिन बेटियों का सामूहिक बलात्कार होना स्वाभाविक है। पश्चिमी सभ्यता का परित्याग ही भारत को बचा सकता है। जो लोग टीवी और फिल्मों के माध्यम से नग्नता फैलाते है वो तो सुरक्षा लेकर घूमते हैं और इनकी नग्नता फैलाने की सजा बेचारी हमारी आम माँ बहन बेटियों को भुगतनी पड़ती है। बलात्कारी उन माँ बहिनों मे ही सनी लिओन ढूंढते रहते है और मौका पाते ही बलात्कार कर देते हैं।

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